Friday, November 12, 2010

Kaha rahengi Chidiya

 
 
कहाँ रहेगी चिड़िया ? 
आँधी आई जोर शोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोंसला बेचारी का
किससे अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?



घर में पेड़ कहाँ से लाएँ
कैसे यह घोंसला बनाएँ
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?

--महादेवी वर्मा
नन्हें चुनमुन
नन्हें चुनमुन फुदक रहे हैं,
घर आंगन में चहक रहे हैं,
नीम निबौरी पके हए है,
डाल-डाल से टपक रहे है।

चुनमुन की मम्मी आती है,
एक निबौरी ले आती है,
चुनमुन के मुंह में टपका कर,
दूर बहुत ही उड़ जाती है।

चुनमुन सोचे मैं नन्हा हूं,
मां के आंचल का पन्ना हूं,
मुझे खिलाकर खुद भूखी रह,
ऐसी मां का मैं मुन्ना हूं।

बड़ा एक दिन हो जाऊँगा,
रूपया-पैसा घर लाऊँगा,
मां के हाथों में रख दूँगा,
राजा बेटा कहलाऊँगा।
-पवन कुमार शाक्य
चीं चीं चूं चूं
 
ला चिड़िया ला तिनका ला तू
मेरे भी घर उड़कर आ तू
सुंदर सुंदर प्यारा प्यारा
एक घोंसला यहाँ बना तू


इसमें फिर तू अंडे देना
बड़े प्यार से उनको सेना
तब निकलेंगे छोटे बच्चे
चीं चीं करते चूँ चूँ करते


-दिविक रमेश

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