Saturday, May 7, 2011

मुहब्बत का जादू

मुहब्बत की जादू-बयानी न होती
अगर तेरी मेरी  कहानी  न होती

न "राधा" से पहले कोई नाम आता
अगर कोई ’मीरा" दिवानी न होती

यह राज़-ए-मुहब्बत न होता नुमायां
जो बहकी  हमारी जवानी न होती

उन्हें दीन-ओ-ईमां से क्या लेना-देना
बलाए अगर आसमानी  न होती

उमीदों से आगे  उमीदें न होती
तो हर साँस में ज़िन्दगानी न होती

कोई बात तो उन के दिल पे लगी है
ख़ुदाया ! मिरी लन्तरानी न होती

रकीबों की बातों में आता न गर वो
तो ’आनन’ उसे  बदगुमानी न होती

मेरे मित्र मेरे एकान्त

मेरे मित्र
मेरे एकान्त
सस्मित और शान्त

कितने सदय हो
सुनते हो मन की
टोका नहीं कभी
रोका भी नहीं कभी
तुम्हारे साथ जो पल बीते
सम्बल है उनका
हम रहे जीते

मेरे मित्र
मेरे एकान्त
आज बहुत थका सा
लौटा हूँ भ्रमण से
पदचाप सुनता हूँ
कल्पित विश्रान्ति का
या अपनी भ्रान्ति का

मेरे मित्र
मेरे एकान्त
जानते  हो! 
केवल एक तुम ही
मेरे एकालाप को
सुनते हो बिन-उकताये
इसीलिये बार-बार
दुनिया से हार-हार
शरण में आता हूँ

मेरे प्रिय सुहृद
मेरे एकान्त
क्या तुम मुझे नहीं रख सकते
सदैव अपने अंक में
कोलाहल से दूर
जहाँ मैं सो लूँ
एक नींद
जो फिर न खुले

तीन कुडलियाँ - हिंग्लिश में हा- हा, हूँ और हाय

सिस्टम को है जीतना तो फिर रीडो मोर
जितना भी डेटा मिले सबको रखो बटोर
सबको रखो बटोर करा लो कॉपी राइट
बाइट एक न लीक सुरक्षा इतनी टाइट
प्रोसेसर अपडेट रखो ओएस भी नित्यम्‌
पछताओगे मित्र पुराना रख कर सिस्टम


इनवायर्नमेन्ट फ्रेण्डली टेक्नोलोजी सीन
भैंस के आगे बैठ कर रोज़ बजाना बीन
रोज़ बजाना बीन दूध का टेंशन मत लो
तीन महीने नष्ट होता वो पैकेट लो
प्लास्टिक डिस्पोजल भी निबटा बहुत चीपली
छपा दिया है उसपर इन्वायर्नमेन्ट फ्रेण्डली

घर में भी टार्चर सहे बाहर अत्याचार
जीवन अपना हो गया ज्यों दैनिक अखबार
ज्यों दैनिक अख़बार कई रोलर में पिस कर
कड़क कलफ़ के साथ निकलता घर से अक्सर
मुड़ा-तुड़ा-चिथड़ा हो जाता है दिन भर में
शाम हुई तो पुड़िया सा आता घर में

संकल्प


मन चाहता ऊंची उड़ान भरूँ
हंसों की कतारों में मिल उडूं
निकल जाऊं बादलों के पार 
नभ से तकरार करुँ
बालक सी रार करुँ
गगन पर मचल मचल
मेघों की जलधार में
डुबकी लगाऊँ
जी भर नहाऊं
अम्बर  से कल्पना के
अंबार समेट कर
उतार धरूँ धरा पर
गीतों में मधुरस भर
कवितायें रसवंती
गाऊँ बन कोकिल-कंठी 
बेड़ियों से मुक्ति का सन्देश
बना लूं एक मन चाहा परिवेश 
चीर दूं तमस को
फैला दूं सर्वत्र उजास 
प्रकाश में विसर्जन करुँ 
अंतस का संत्रास 
गीतों में मल मल
धो डालूँ सारा संताप 
रच दूं स्वयं का नया इतिहास 
असीर की पीर सोख 
नव-युग का सूत्रपात ! 
  

"सूरज आया"



कौन आया?
सूरज आया, 
क्या लाया?
उजाला लाया|१|
--
उठो, उठो,
भोर हुई,
जल्दी करो,
रात गई|२|
--
मुह हाथ धोओ,
पेट साफ करो,
ठंडा/कुनकुना नहाओ,
और ईश का ध्यान करो|३|
--
खाना खाओ,
खाली पेट न यूँ घुमो,
फिर अपने काम लगो,
लगन से उसमे रामो|४|
--
घर आओ,
अब दिन ढला,
नीड़ हमारा है,
सबसे भला|५|
--
दीप-बाती आओ जला ले,
ईश वंदना करें,
हे प्रभु,हे कृपालु,
तू संताप हरे|६|
--
भूख लगी,
अब खाना खाए,
धन्यवाद कर,
प्रभु के गुण गए|७|
--
राम भला हो,
अब नीद सताएं,
सुंदर सपनों में,
अब खो जाये|८|
--
उठो कोई आया है,
कौन आया?,
सूरज आया,
उजाला लाया|९|

मैं अपनी माँ से दूर


मैं अपनी माँ से दूर अमेरिका में रहता हूँ

बहुत खुश हूँ यहाँ मैं उससे कहता हूँ
हर हफ़्ते
मैं उसका हाल पूछता हूँ
और अपना हाल सुनाता हूँ
सुनो माँ,कुछ दिन पहले
हम ग्राँड केन्यन गए थे
कुछ दिन बाद
हम विक्टोरिया-वेन्कूवर जाएगें
दिसम्बर में हम केन्कून गए थे
और जून में माउंट रेनियर जाने का विचार है
देखो  माँ,ये कितना बड़ा देश है
और यहाँ देखने को कितना कुछ है
चाहे दूर हो या पास
गाड़ी उठाई और पहुँच गए
फोन घुमाया
कम्प्यूटर का बटन दबाया
और प्लेन का टिकटहोटल आदि
सब मिनटों में तैयार है
तुम आओगी  माँ
तो मैं तुम्हे भी सब दिखलाऊँगा
लेकिन
यह सच नहीं बता पाता हूँ कि
20 
मील की दूरी पर रहने वालो से
मैं तुम्हें नहीं मिला पाऊँगा
क्यूंकि कहने को तो हैं मेरे दोस्त
लेकिन मैं खुद उनसे कभी-कभार ही मिल पाता हूँ
माँ खुश है कि
मैं यहाँ मंदिर भी जाता हूँ
लेकिन
मैं यह सच कहने का साहस नहीं जुटा पाता हूँ
कि मैं वहाँ पूजा नहीं
सिर्फ़ पेट-पूजा ही कर पाता हूँ
बार बार उसे जताता हूँ कि
मेरे पास एक बड़ा घर है
यार्ड है
लाँन में हरी-हरी घास है
 चिंता है
 फ़िक्र है
हर चीज मेरे पास है
लेकिन
सच नहीं बता पाता हूँ कि
मुझे किसी  किसी कमी का
हर वक्त रहता अहसास है
 काम की है दिक्कत
 ट्रैफ़िक की है झिकझिक
लेकिन हर रात
एक नए कल की
आशंका से घिर जाता हूँ
आधी रात को नींद खुलने पर
घबरा के बैठ जाता हूँ
मैं लिखता हूँ कविताएँ
लोगो को सुनाता हूँ
लेकिन
मैं यह कविता
अपनी माँ को ही नहीं सुना पाता हूँ
लोग हँसते हैं
मैं रोता हूँ
मैं अपनी माँ से दूर अमेरिका में रहता हूँ
बहुत खुश हूँ यहाँ मैं उससे कहता हूँ