Saturday, May 7, 2011

मुहब्बत का जादू

मुहब्बत की जादू-बयानी न होती
अगर तेरी मेरी  कहानी  न होती

न "राधा" से पहले कोई नाम आता
अगर कोई ’मीरा" दिवानी न होती

यह राज़-ए-मुहब्बत न होता नुमायां
जो बहकी  हमारी जवानी न होती

उन्हें दीन-ओ-ईमां से क्या लेना-देना
बलाए अगर आसमानी  न होती

उमीदों से आगे  उमीदें न होती
तो हर साँस में ज़िन्दगानी न होती

कोई बात तो उन के दिल पे लगी है
ख़ुदाया ! मिरी लन्तरानी न होती

रकीबों की बातों में आता न गर वो
तो ’आनन’ उसे  बदगुमानी न होती

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