Saturday, May 7, 2011

संकल्प


मन चाहता ऊंची उड़ान भरूँ
हंसों की कतारों में मिल उडूं
निकल जाऊं बादलों के पार 
नभ से तकरार करुँ
बालक सी रार करुँ
गगन पर मचल मचल
मेघों की जलधार में
डुबकी लगाऊँ
जी भर नहाऊं
अम्बर  से कल्पना के
अंबार समेट कर
उतार धरूँ धरा पर
गीतों में मधुरस भर
कवितायें रसवंती
गाऊँ बन कोकिल-कंठी 
बेड़ियों से मुक्ति का सन्देश
बना लूं एक मन चाहा परिवेश 
चीर दूं तमस को
फैला दूं सर्वत्र उजास 
प्रकाश में विसर्जन करुँ 
अंतस का संत्रास 
गीतों में मल मल
धो डालूँ सारा संताप 
रच दूं स्वयं का नया इतिहास 
असीर की पीर सोख 
नव-युग का सूत्रपात ! 
  

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