प्याज - The price of onion
जब कभी बाजार में नायाब हो जाती है प्याज,
हम कहाँ खाते हैं उसे , फिर हमें खाती हैं प्याज |
सुर्ख चेहरा, डब-डबाई आँखें, फैली पुतलियाँ,
इक मुज्जसम इकलाब-ए-हुस्न बन जाती है प्याज |
इनके आंसू देखकर होता है सदमा किस कदर,
हाय कैसी शरबती आँखों को रुलाती है प्याज |
हो न खाने को कुछ भी दस्तरखान पर,
ऐसे नाजुक वक्त में भूखे को बहलाती हैं प्याज |
वो चुकंदर हो या शलजम, फूलगोभी या मटर,
जान हर हांडी की, हर मौसम में, बन जाती है प्याज |
जब अचानक रोड पर छूट जाये थैली हाथ से,
कैसे-कैसे अहले-इल्म व फन को दौड़ती है प्याज |
गर घर में न हो खाने को, तो,
मिया बीबी को लड़वाती है प्याज |
चूक जाये नजर दम भर को तो पल भर में जल जाती है प्याज,
मुह तक आते-आते कितने नाज उठ्वती है प्याज |