Monday, September 6, 2010

चलो छोड़ देंगे......

चलो छोड़ देंगे क़राबत की बातें
मगर कैसे छूटेंगी उल्फ़त की बातें ?

ये तर्क-ए-मुहब्बत की बातें ,ख़ुदाया !
क़यामत से पहले क़यामत की बातें

कहाँ ज़िन्दगानी में मिलता है कोई
जो करता हो दिल से रफ़ाक़त की बातें

कभी आस्माँ से उतर आइए तो
करेंगे ज़मीनी हक़ीक़त की बातें

जिसे गुफ़्तगू का सलीक़ा नहीं है
वो ही कर रहा है ज़हानत की बातें

अजी !छोड़िए भी यह शिकवा शिकायत
कहीं बैठ करते है राहत की बातें

अरे! रिन्द "आनन" को क्या हो गया है!
कि ज़ाहिद से करता है जन्नत की बातें

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