इंसान ऊँट बनने लगा है
पहले शहर के बाहर
एक भव्य
टंकी हुआ करती थी
एक भव्य
टंकी हुआ करती थी
फिर
एक दौर ऐसा आया
कि हर घर की छत पर
सिंटेक्स की काली टंकी
नज़र आने लगी
एक दौर ऐसा आया
कि हर घर की छत पर
सिंटेक्स की काली टंकी
नज़र आने लगी
कालांतर में
हर किचन में
एक आर-ओ का
रिवाज़ चल पड़ा
हर किचन में
एक आर-ओ का
रिवाज़ चल पड़ा
अब शनै: शनै:
इंसान ऊँट बनने लगा है
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है
कि पानी की थैली
पेट में न हो कर
पीठ पर है
इंसान ऊँट बनने लगा है
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है
कि पानी की थैली
पेट में न हो कर
पीठ पर है
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