Thursday, October 14, 2010

विडम्बनाओं का खेल

विडम्बनाओं का खेल


करत करत अभ्यास के
शांतिप्रिय भए शैतान
गाँधी जी के देश में
बंदूक-तमंचे वाले पा रहे इनाम

देश-विदेश के नर-नार ने
देखें राष्ट्रमंडल खेल
लेकिन दिल्लीवासी घर में बंद
जैसे काट रहे हो जेल

खेल के नाम पे लूट है
लूट सके तो लूट
कहने को है गाँव मगर
ठाठ-बाट भरपूर

कलमाडी पुलिया खेल की
क्यूँ दी तोड़ भड़भड़ाय?
सेना ने तो जोड़ दी
पर ओलम्पिक दियो गँवाय

लाखों-करोड़ों फूँक के
किए समारोह भव्य
और रामलला की रामलीला को
मिले छटाँक न द्रव्य

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